प्रकृति तुम्हारा हिस्सा नहीं है —
तुम प्रकृति का हिस्सा हो,
इससे अलग नहीं जी सकते,
सद्भाव ही एकमात्र विकल्प है।
ध्यान कोई क्रिया नहीं,
यह तुम्हारा स्वभाव बन सकता है,
अगर तुम होश में जीना सीख जाओ,
तो हर क्षण ध्यानमय हो सकता है।
मन तुम्हारा उपकरण है,
अगर यह तुम पर हावी हो गया,
तो तुम दुखी रहोगे,
इसे चलाना सीखो — वही सच्चा योग है।
तुम अपने अनुभवों के जिम्मेदार हो,
खुशी बाहर से नहीं आती,
वह तुम्हारे निर्णय का परिणाम है,
खुश रहना तुम्हारा अधिकार है — और जिम्मेदारी भी।
जीवन को ठीक करने की ज़रूरत नहीं,
खुद को ठीक कर लो — सब बदल जाएगा।
बाहर की स्थिति तुम्हारे भीतर से पैदा होती है,
भीतर साफ़ है, तो जीवन सरल है।
Copyright 2024-25 Bhakti Darshan . All rights reserved - Design & Developed by BD