अहंकार से बड़ा कोई अंधकार नहीं,
और विनम्रता से तेज कोई दीप नहीं,
जो खुद को मिटा सका,
वही असली रूप में खिला।
कर्म से भागो मत,
उसे साधना बना दो,
हर काम में योग सम्भव है,
बस चेतना जोड़ दो।
सच्चा गुरु बाहर नहीं बैठा होता,
वह तुम्हारे भीतर जागने की प्रतीक्षा करता है,
श्रद्धा से नहीं, अनुभव से जानो,
गुरु वही है जो तुम्हें तुमसे मिलवा दे।
मौन कोई कमजोरी नहीं,
यह भीतर की शक्ति की आवाज़ है,
जो बाहर चिल्लाता है, वो भीतर खाली होता है,
जो भीतर शांत है, वही सच्चा ज्ञानी है।
योग केवल शरीर नहीं है,
यह मन और आत्मा की साधना है,
साँस को जानो, स्वयं को जानो,
भीतर उतरना ही असली यात्रा है।
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