जब मन में सच जानने की
जिज्ञासा पैदा हो जाए तो
दुनिया की चीजे अर्थहीन लगती हैं।
मोह से भरा हुआ इंसान
एक सपने की तरह है,
यह तब तक ही सच लगता है
जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते हैं
जब नींद खुलती है तो
इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है।
सत्य की कोई भाषा नहीं है
भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है,
लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं आविष्कार है
सत्य को बनाना या प्रमाणित नहीं करना पड़ता,
सिर्फ उघाड़ना पड़ता है।
हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि
आत्मा एक राजा के समान है
जो शरीर, इंद्रियों, मन,
बुद्धि से बिल्कुल अलग है
आत्मा इन सबका साक्षी स्वरुप है।
तीर्थ करने के लिए किसी स्थान
पर जाने की जरूरत नहीं है
सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ
आपका अपना मन है,
जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो।
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