अग्नि देव से यह सीखा है मैंने, जलने से नहीं डरना चाहिए,
जो खुद को तपाए, वही सोने सा निखरता है।
अग्नि की रौशनी में जैसे सारा संसार निखर जाता है,
वैसे ही सच्चे प्रेम में दिल का हर ग़म सुलझ जाता है।
तपते हुए अंगारों में जो खुद को देखता है,
वो ही तो अग्नि देव के पास सच्चाई से मिलता है।
अग्नि से सिखो, जो जलती है फिर भी खत्म नहीं होती,
जिंदगी की राहों में भी हर मुश्किल से गुजरना सीखो।
अग्नि की लौ में जो जलता है,
वही सच्चाई को पहचानता है,
दिल में बस गहरी आस्था हो,
तो हर रास्ता रोशन करता है।
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