हे विष्णु देव, तेरे चरणों में शरण गहरी।
तेरे भक्त नाम ध्यान कर, तरे दुख सब हरी।।'
हरि का नाम जपते रहो और काम भले तुम करते रहो,
हो जाएगा जीवन सफल, विष्णुजी की भक्ति करते रहो।
चल रहा हूं धूप में
तो विष्णु जी की छाया है,
शरण यही सच्ची है,
बाकी सब मोह माया हैं।
शंख चक्र गदाधारी हो तुम,
जगत के हो पालनहार
सुन लो विनती हमारी भी ये,
कर दो प्रभु उद्धार।
शेषनाग की शय्या पर सृष्टि के पालनकर्ता है,
नारायण की भक्ति से, जीवन मेरा चलता है।।
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