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  • August, 20, 2024
  • by Admin

मेरी लगी श्याम संग प्रीत

मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ।
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने ।।

क्या जाने कोई क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने ।
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

छवि लखि मैंने श्याम की जब से,
भई बावरी मैं तो तब से ।
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से,
नाता तोड़ा मैंने जग से ।।

ये कैसी निगोड़ी प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ।
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

मोहन की सुन्दर सूरतिया,
मन में बस गई मोहनी मूरतिया ।
जब से ओढ़ी श्याम चुनरिया,
लोग कहे मैं भई बावरियां ।।

मैंने छोड़ी जग की रीत,
ये दुनिया क्या जाने ।
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

हर दम अब तो रहूँ मस्तानी,
रूप राशि अंग अंग समानी ।
हेरत हेरत रहूँ दीवानी,
मैं तो गाऊँ ख़ुशी के गीत ।।

ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने ।
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

मोहन ने ऐसी बंसी बजाई,
गोप गोपियाँ दौड़ी आई ।
सब ने अपनी सुध बिसरायी,
लोक लाज कुछ काम न आई ।।

फिर बज उठा संगीत,
ये दुनिया क्या जाने ।
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ।
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने ।।

क्या जाने कोई क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने ।
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

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