विजया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया तो भगवान श्रीराम वानर सेना की मदद से रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल सिन्धु तट पर आए। लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए उन्हें समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि उनके सामने विशाल समुद्र को पार करना एक चुनौती थी। उन्होंने समुद्र से ही लंका पर चढ़ाई करने के लिए मार्ग मांगा, लेकिन वे असफल रहे। फिर प्रभु राम ने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा। पास ही दालभ्य मुनि का आश्रम था श्रीराम जी लक्ष्मण जी को साथ ले उनके आश्रम पहुंचे और दंडवत प्रणाम कर समुद्र पार करने का उपाय पूछा तो मुनि बोले –कल विजया एकादशी है यदि आप अपनी सेना सहित इसका व्रत करें तो न केवल सागर पार करना संभव होगा बल्कि आपको लंका पर विजय भी प्राप्त हो जाएगी किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है। मुनि की आज्ञा से सभी ने विजया एकादशी का व्रत किया और फिर प्रभु रामेश्वर का पूजन भी किया इसी के फलस्वरूप उन्हें लंका पर विजय प्राप्त हुई इस व्रत को करने तथा व्रत कथा के श्रवण से सदा विजय की प्राप्ति होती है
व्रत महिमा -
यह व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है इसे विजया एकादशी का व्रत कहा जाता है। इस दिन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा करने से अनंत पुण्य फल प्राप्त होता पूजन में धुप दीप नैवेध्य नारियल आदि चढ़ाया जाता साथ ही सप्त अन्नयुक्त घट स्थापित किया जाता है आज के दिन अन्न से भरा घडा ब्राह्मण को दान करने से दुःख दरिद्रता का नाश होता है और प्रत्येक कार्य में विजय प्राप्त होती है
कृष्णा हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता है। उन्हें विष्णु के आठवें अवतार के रूप में और अपने आप में सर्वोच्च भगवान के रूप में भी पूजा जाता है।
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