विकास खन्ना एक भारतीय बावर्ची, रेस्तराँ मालिक, फ़िल्म निर्माता के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे मास्टरशेफ़ इंडिया के निर्णायक के रूप में जाने जाते हैं। वे न्यूयार्क शहर में रहते हैं।
अमृतसर निवासी दविंदर और बिंदू खन्ना के पुत्र विकास खन्ना की प्रारंभिक शिक्षा सेंट फ्रांसिस स्कूल (अमृतसर) से हुई। उनकी माता अभी भी वहीं रहती हैं। पैरों में पैदाईशी विकृति (क्लब फुट) होने के कारण वे 13 साल की उम्र तक दौड़ने में अक्षम रहे। उन्होंने अपनी बीजी (दादी) से प्रभावित होकर रसोईंये की मूलभूत शिक्षा ग्रहण की और बहुत कम ही उम्र में पाकशास्त्र में निपुण हो गये। जब वे 17 साल के थे तब शादियों और पारिवारिक समारोहों की मेजबानी के लिए लॉरेंस गार्डन बैंक्वेट्स खोला। उन्होंने 1991 में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के एक संघटक वेलकमग्रुप ग्रेजुएट स्कूल ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन से स्नातक उत्तीर्ण किया।
इसके अलावा जीडी गोयनका विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण की जो अपने पाकशास्त्र कला में उत्कृष्ट कार्य, लोकोपकार, परहितवाद और मानवतावाद तथा वैश्विक स्तर पर बावर्ची के रूप में प्रसिद्धि के लिए मान्यता के रूप में है।
उन्होंने अमेरिका के कुलिनरी इंस्टीट्यूट और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है।
खन्ना ने भारत में रहने के दौरान ताज होटल्स, ओबेरॉय ग्रुप, वेलकम ग्रुप और लीला ग्रुप ऑफ़ होटल्स के लिए काम किये। इसके अतिरिक्त एक उच्च स्तरीय भारतीय रेस्तरां जूनून जो कि मैनहट्टन के फ्लैटिरोन जिले में स्थित है वहाँ शामिल होने से पूर्व न्यूयॉर्क के सलाम बॉम्बे और द कैफे ऐट द रूबिन म्यूजियम ऑफ आर्ट में भी काम किया था। अपने शुरूआती सालों में द न्यूयार्क टाइम्स में सैम सिफ्टन के द्वारा जूनून की अनुकूलात्मक समीक्षा की गई, जो कि सराहनीय रही और 2011 से लगातार छह वर्षों तक मिशेलिन गाइड द्वारा मिशेलिन स्टार से सम्मानित किया गया। विकास खन्ना ने गॉर्डन रामसे, एरिक रिपर्ट, बॉबी फ्ले और जीन-जॉर्जेस वोंगरिचटेन सहित सिद्धहस्त बावर्चियों के साथ भी मिलकर काम किया है।
इसके अतिरिक्त 2019, दुबई में उन्होंने किनारा रेस्तराँ तथा 2020 में एलोरा नामक रेस्तराँ खोला।
खन्ना ने होली किचन नामक एक वृत्तचित्र श्रृंखला का निर्माण किया है , जो आस्था और भोजन के बीच के बंधन की पड़ताल करती है।
उनकी डॉक्यूमेंट्री किचन ऑफ ग्रेटिट्यूड को 69वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में मार्चे डु फिल्म में प्रदर्शित किया गया था ।
उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म द लास्ट कलर भारत के प्राचीन शहर बनारस की सड़कों पर अस्तित्व के लिए दैनिक संघर्षों के बारे में एक फिल्म है। फिल्म का टीजर 71वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में रिलीज किया गया था .
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