नेफियू रियो एक भारतीय राजनीतिज्ञ है जो भारत के नागालैण्ड राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। इसके पहले वह २००३-०८, २००८-१३, २०१३-१४ तक लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर रहे। उनका वर्तमान कार्यकाल ८ मार्च २०१८ को प्रारंभ हुआ। वह २०१४-१८ के मध्य नागालैण्ड लोक सभा क्षेत्र से सांसद भी रहे।
रियो कोहिमा जिले के तुफेमा गांव के स्वर्गीय गुलहॉली रियो के बेटे हैं और अंगामी नागा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बैप्टिस्ट इंग्लिश स्कूल, कोहिमा और सैनिक स्कूल, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, दार्जिलिंग में कॉलेज में प्रवेश लिया और बाद में कोहिमा आर्ट्स कॉलेज से स्नातक किया। अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों के दौरान सक्रिय छात्र नेता थे। रियो कम उम्र में ही राजनीति में आ गए थे। उन्होंने नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने से पहले कई प्रतिष्ठित संगठनों का नेतृत्व किया था। उन्होंने १९७४ में कोहिमा जिला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) यूथ विंग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। १९८४ में उन्हें उत्तरी अंगामी क्षेत्रीय परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया। वे भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी नागालैण्ड शाखा के मानद उपाध्यक्ष भी रहे।
राजनीति में शामिल होने पर रियो पहले १९८९ के नागालैण्ड विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरी अंगामी-२ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस (इन्दिरा) के उम्मीदवार के रूप में पहली बार नागालैण्ड विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्हें खेल और स्कूल शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में उच्च मंत्री और तकनीकी शिक्षा और कला एवं संस्कृति मंत्री भी बने। उन्होंने नागालैण्ड औद्योगिक विकास महासंघ, नागालैण्ड खादी और ग्राम औद्योगिक संघ और नागालैण्ड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। १९९३ में रियो अपने पिछले बार के ही निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस (आई) उम्मीदवार के रूप में चुने गया और उन्हें कार्य और हाउसिंग मंत्री नियुक्त किया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सदस्य के रूप में रियो १९९८ से २००२ के मध्य एस॰ सी॰ जमीर की सरकार में गृह मंत्री थे।
सन २००२ में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे के बाद, रियो नागा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) में शामिल हो गये। २००३ के नागालैण्ड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के १० साल के शासन को खत्म करने हेतु नागा पीपल्स फ्रंट ने अन्य नागा क्षेत्रीय दलों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य शाखा के साथ साझेदारी करने के लिये डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ़ नागालैण्ड (डीएएन) का गठन किया और रियो पहली बार राज्य के मुख्यमन्त्री बने। रियो ने ६ मार्च २००३ को मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला।
अपना पहला कार्यकाल पूरा करने से पहले रियो को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया तथा ३ जनवरी २००८ को नागालैण्ड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। हालाँकि, आगामी चुनावों में उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और रियो ने डीएएन के नेता के रूप में मुख्यमन्त्री पद के लिये आमंत्रित किया तथा उन्होंने १२ मार्च २००८ को सरकार बनायी। २०१३ के नागालैंड राज्य चुनावों में एनपीएफ ने भारी बहुमत से जीत मिली और रियो को तीसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमन्त्री के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया।
तीसरे कार्यकाल में मुख्यमन्त्री पद पर रहते हुए उन्होंने २०१४ के भारतीय आम चुनाव में नागालैण्ड लोक सभा क्षेत्र से भाग लिया और वे ४,००,२२५ मतों से विजयी हुए। इस बीच अक्टूबर २०१७ में उन्होंने एनपीएफ का साथ छोड़ दिया तथा एक नई पार्टी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गये।
२०१८ के नागालैण्ड विधानसभा चुनाव के लिये रियो की पार्टी एनडीपीपी ने भाजपा के साथ गठबंधन किया और १८ सीटें और भाजपा ने १२ सीटें जीती। ८ मार्च २०१३ को उन्होंने मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली।[1] यह रियो का मुख्यमन्त्री के रूप में चौथा कार्यकाल है।
रियो ने देश के प्रथम संगीत उद्योग म्यूजिक टास्क फ़ोर्स के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्हें असाधारण नेतृत्व तथा राजनीति के क्षेत्र में योगदान के लिये २००७ में कोलकाता में मदर टेरेसा मिलेनियम पुरस्कार मिला।
रियो की शादी कैसा रियो से हुई है। उनकी पाँच बेटियाँ व एक बेटा है।
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