ब्रह्मानन्दम भारतीय फिल्म अभिनेता और हास्यकार हैं। यह मुख्य रूप से तेलुगू फिल्मों में काम करते हैं। यह हिन्दी, तमिल और कन्नड़ फिल्मों में भी कार्य कर चुके हैं। इनका नाम जीवित अभिनेताओं में सबसे अधिक फिल्में करने के कारण गिनीज़ पुस्तक में दर्ज हुआ है। इन्हें भारतीय सिनेमा में अपने योगदान करने के कारण 2009 में पद्म श्री से सम्मानित भी हुए। ब्रह्मानन्दम एक महान कलाकार है उनका कहना है की में तो लोगो को हँसाने के लिए ही हुआ हूँ ब्रह्मानन्दम जी ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है ।ब्रह्मानंदम का पूरा नाम ब्रह्मानंदम कन्यकांति हैं, आपको बता दें कि SOUTH INDIAN फिल्मों में ये तेलगू फिल्मों में ही नजर आते हैं.
ब्रह्मानंदम का जन्म 1 फरवरी 1956 को आंध्रप्रदेश के गुन्टूर जिले में हुआ था। इनकी माता का नाम लक्ष्मीनरसम्मा है और इनके पिता का नाम नागालिगाचारी है। ये शादीशुदा है और ब्रह्मानंदम की पत्नी का नाम लक्ष्मी कनगनती है। इनके दो बच्चे है जिनका नाम राजा गौतम और सिड कनगनती है।
प्रारभिक शिक्षा सातेनापल्ली जिले के मुपलला गांव के एक स्कूल से पूरी ही हुई थी। हालांकि इनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही थी लेकिन फिर भी ये पढ़ाई को महत्व देते है और तमाम कठनाईयों का सामना करते करते इन्होंने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। ये अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य थें जिन्होंने इतनी पढ़ाई की थी।
पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद जल्द ही इन्हें एक कॉलेज में तेलगु लेक्चरर की नौकरी मिल गयी लेकिन इन्हें कॉमेडी और मिमिक्री करने का बहुत शौक था। ब्रह्मानंदम अपने विद्यार्थियों के साथ कॉमेडी किया करते थे और कॉलेज की प्रतियोगिता में भी भाग लेते थे और अपनी कॉमेडी से सबको हँसाते थे।
एक बार एक ड्रामे में एक्टिंग के दौरान ब्रह्मानंदम की मुलाकात फिल्मों के जाने – माने डायरेक्टर जन्धयाला सुब्रहाण्यम से हो गयी और वो इनकी एक्टिंग से प्रभावित होकर इनको एक छोटा सा रोल ऑफर कर दिया और उनकी ये पहली फ़िल्म थी -चन्ताबाबाई।
ब्रह्मानंदम की पहली ही फ़िल्म में इनके अभिनय की खूब तारीफ हुई और इनको एक के बाद एक फिल्में मिलती गयी। इन्होंने साउथ के लगभग सभी अभिनेताओं के साथ काम किया है।
पद्म श्री पुरस्कार (1954–1959)
पद्म श्री पुरस्कार (1960–1969)
पद्म श्री पुरस्कार (1970–1979)
पद्म श्री पुरस्कार (1980–1989)
पद्म श्री पुरस्कार (1990–1999)
पद्म श्री पुरस्कार (2000–2009)
पद्म श्री पुरस्कार (2010–2019)
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