रस्किन बॉण्ड अंग्रेजी भाषा के एक विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक हैं। उनके पिता, ऑब्रे अलेक्जेंडर बॉन्ड भारत में तैनात रॉयल एयर फ़ोर्स (RAF) के एक अधिकारी थे। उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की। उनके पहले उपन्यास, द रूम ऑन द रूफ को 1957 में जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार मिला। उन्हें 1992 में हमारे पेड़ स्टिल ग्रो इन द डेहरा, अंग्रेजी में उनके उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बॉन्ड ने बच्चों के लिए सैकड़ों लघु कथाएँ, निबंध, उपन्यास और किताबें लिखी हैं। उन्हें 1999 में पद्म श्री और 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह अपने दत्तक परिवार के साथ मसूरी के लंढौर में रहते हैं।
इनका जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली के एक फ़ौजी अस्पताल में हुआ था। वे अब्रे बॉण्ड और एरिथ क्लार्के के पुत्र हैं। बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु मलेरिया से हो गई थी, तत्पश्चात इनकी परवरिश शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून तथा लंडन में हुई। आज-कल वे अपने परिवार के साथ देहरादून जिला में रहते है। वे अग्रेज़ी मूल के लेखक हैं। उन्होने बिशप कॉटन नामक धर्मशाला में अभ्यास किया। उनकी बहन का नाम इलन बॉण्ड और भाई का नाम विल्यम बॉण्ड है।
उनकी रचना 'फ्लाइट ऑफ़ पिजन्स' (कबूतरों की उडान) और 'एंग्री रिवर' (अप्रसन्न नदी) नामक कई उपन्यास पर फ़िल्म का रूप ले चुकी हैं। फिल्म अभिनेता/निर्माता शशि कपूर और निर्देशक श्याम बेनेगल ने 80 के दशक में 'फ्लाइन ऑफ़ पिजन्स' पर ही 'जुनून' नाम से एतिहासिक-प्रेम आधारित फिल्म बनाई गई। भारतीय फिल्म निर्देशक/निर्माता विशाल भारद्वाज ने उनकी रचना 'सुज़ैन सेवेन हसबैंड' पर ' ७ खून माफ़' जैसी रोमांटिक-थ्रिलर के साथ बाल-कथा 'द ब्लू अंब्रेला' नाम से भी हास्य-ड्रामा आधारित फिल्म बनाई।
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