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अलका नादकर्णी

डॉ अनुराधा पौडवाल हिन्दी सिनेमा की एक प्रमुख पार्श्वगायिका हैं। वे १९९० के दशक में अत्यन्त लोकप्रिय रहीं।

इन्होंने फिल्म कैरियर की शुरुआत की फ़िल्म अभिमान से, जिसमें इन्होंने जया भादुड़ी के लिए एक श्लोक गाया। यह श्लोक उन्होंने संगीतकार सचिन देव वर्मन के निर्देशन में गाया था। उसके बाद उन्होंने 1974 में अपने पति संगीतकार अरुण पौडवाल के संगीत निर्देशन में 'भगवान समाये संसार में' फ़िल्म में मुकेश ओर महेंद्र कपूर के साथ गाया।

अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्टूबर 1954 को कर्नाटक के उत्तर कन्नड जिले के करवार में एक कोंकणी परिवार में हुआ था। किन्तु उनका पालन-पोषण मुंबई में हुआ था। उनका विवाह अरुण पौडवाल से हुई थी जो प्रसिद्ध संगीतकार एसडी बर्मन के सहायक थे। अरुण स्वयं एक संगीतकार थे। नब्बे के दशक में अनुराधा पौडवाल अपने करियर के शिखर पर थीं, उसी समय उनके पति अरुण की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उनके एक बेटा आदित्य पौडवाल और बेटी कविता पौडवाल है।

अनुराधा ने 1973 में आई अमिताभ और जया की फिल्म 'अभिमान' से अपना करियर शुरू किया था जिसमें उन्होंने एक श्लोक गीत गया था। एक समय लगभग हर फिल्म में अनुराधा का गाना होता था। लेकिन अब लंबे समय से गायन से दूर हैं। आखिरी बार उन्होंने 2006 में आई फिल्म 'जाने होगा क्या' में गाने गाए थे। अनुराधा ने कभी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण नहीं लिया, ये कहते हुए कि उन्होंने कई बार कोशिश की पर बात नहीं बनी। उन्होंने लताजी को सुनते सुनते और खुद घंटो अभ्यास करते करते ही अपने सुर बनाए। लता मंगेशकर अनुराधा पौडवाल के लिए भगवान से कम नहीं है, क्योंकि वह अपनी सभी सफलताओं का श्रेय लता जी को ही देती हैं। उनका कहना है कि “मैंने कई गुरुओं के सानिध्य में संगीत सीखा। लेकिन, लता जी की आवाज़ मेरे लिए एक प्रेरणा स्रोत थी जिसने एक संस्थान के रूप में मेरा मार्गदर्शन किया।” उन्होंने अन्य संगीतकारों (राजेश रोशन, जे देव, कल्याणजी आनन्दजी) के साथ भी अच्छी जोड़ी बनाई।

अनुराधा को फिल्म 'हीरो' के गानो की सफलता के बाद लोकप्रियता मिली और उनकी गिनती शीर्ष गायिकाओं में की जाने लगी| इस फिल्म में उन्होंने लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के साथ जोड़ी बनाई। हीरो की सफलता के बाद इस जोड़ी ने कई और फिल्मों में सफल गाने दिए जैसे, 'मेरी जंग', 'बटवारा', 'राम लखन' और आखरी में 'तेज़ाब'। इसके बाद उन्होंने टी-सीरीज़ के गुलशन कुमार के साथ हाथ मिलाया और कई नये चेहरों को बॉलीवुड में दाखिला दिलाया। इनमे से कुछ हैं उदित नारायण, सोनू निगम, कुमार सानू, अभिजीत, अनु मलिक और नदीम श्रवण।

अपनी सफलता के चरम पर उन्होंने केवल टी-सीरीज़ के साथ काम करने की घोषणा कर दी, जिसका लाभ अल्का याग्निक को मिला। अनुराधा पौडवाल ने फिल्मों से हटकर भक्ति गीतों पर ध्यान देना शुरू किया और इस क्षेत्र में बहुत से सफल भजन गाए। कुछ समय तक काम करने के बाद उन्होंने एक विश्राम ले लिया और 5 साल बाद फिर पार्श्व गायन में आ गयीं हालाँकि उनका लौटना उनके लिए बहुत सफल साबित नहीं रहा।

दि. 12 सितम्बर 2020 को उन पर दुःखों का पहाड़ तब टूटा, जब उनका पुत्र आदित्य पौडवाल किडनी की बामारी के चलते मात्र 35 वर्ष की उम्र में चल बसा।

पुरस्कार

अनुराधा पौडवाल को संगीत के क्षेत्र में किये उनके श्रेष्ठ योगदान के लिये कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया जा चुका है। उन्‍हें भारत सरकार की तरफ से साल 2017 में पद्मश्री से सम्‍मानित किया गया है। इसके अलावा उन्‍हें 4 बार फिल्‍म फेयर पुरस्‍कार से और एक बार राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया जा चुका है।

  • 2010 : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार
  • 2011 : मदर टेरेसा अवॉर्ड
  • 2013 : महाराष्ट्र सरकार द्वारा मोहम्मद रफी पुरस्कार
  • 2017 : भारत सरकार द्वारा पद्मश्री

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

वर्षगीतफिल्मसंगीत निर्देशकगीतकार
1986"मेरे मन बाजा मृदंग"उत्सवलक्ष्मीकांत-प्यारेलालवसंत देव
1991"नज़र के सामने"आशिकीनदीम-श्रवणसमीर
1992"दिल है के मानता नहीं"दिल है के मानता नहींनदीम-श्रवणफैज़ अनवर
1993"धक धक करने लगा"बेटाआनंद-मिलिंदसमीर

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार


 

वर्षगीतफिल्मसंगीत निर्देशकगीतकार
1989"हे एक रेशमी"कलत नकलतआनंद मोदकसुधीर मोघे

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