दुर्गा शक्ति नागपाल 2009 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं जो अपनी ईमानदारी के लिये जानी जाती हैं। उन्हें अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण निलम्बित कर दिया गया। उन पर आरोप यह लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से बनाई जा रही एक मस्जिद की दीवार को गिरा दिया था जिससे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल जाने की आशंका थी। बाद में जनता के विरोध के मद्देनज़र उन्हें राजस्व विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया।
मूल रूप से पंजाब कैडर की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने 2011 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अभिषेक सिंह से शादी करके अपना स्थानान्तरण उत्तर प्रदेश में करा लिया था। उनकी पहली तैनाती सितम्बर 2012 के दौरान गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में हुई जहाँ उन्हें उ०प्र० सरकार द्वारा सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एस०डी०एम०) के पद पर तैनात किया गया। 28 वर्षीय युवा व स्वभाव से ही तेजतर्रार इस महिला प्रशासनिक अधिकारी ने यमुना नदी के खादर में रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिये विशेष उड़न दस्तों का गठन किया और उनका नेतृत्व भी स्वयं सम्भाला। जिसके चलते वे राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकार हो गयीं।
उत्तर प्रदेश आई०ए०एस० ऐसोसिएशन ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन पर विरोध दर्ज कराया और इसे रद्द करने की माँग की। इसके परिणाम स्वरूप नागपाल के निलम्बन पर विचार करने को यू०पी० सरकार तैयार हुई। उ०प्र० सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने ऐसोसिएशन को बताया कि मुख्य मन्त्री अखिलेश यादव ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन पर नियमानुसार पुनर्विचार करने का आदेश उन्हें दे दिया है जिसके चलते प्रशासनिक कार्यवाही की जायेगी।
मुख्यमन्त्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत किया जिससे सन्तुष्ट होकर अखिलेश यादव ने उन्हें चन्द घण्टों बाद ही बहाल कर दिया। वर्तमान समय में दुर्गा शक्ति नागपाल को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का जिलाधिकारी बनाया गया है। इससे पहले वो चिकित्सा विभाग की विशेष सचिव के पद तैनात थीं
दुर्गा शक्ति के निलम्बन का मामला अब उच्च न्यायालय पहुँच गया है। नूतन ठाकुर नाम की एक महिला ने बुधवार को इस निलम्बन के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की है।
उधर एक केन्द्रीय मन्त्री बेनी प्रसाद वर्मा ने दावा किया कि दुर्गा को किसी धार्मिक स्थल की दीवार ढहाने के कारण निलम्बित करना तो एक बहाना है, असली कारण तो कुछ और ही है। वर्मा ने कहा-"यह निलम्बन मुलायम सिंह यादव के इशारे पर किया गया। मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव को तो इस आदेश के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी।"
मुख्य मन्त्री द्वारा इस मामले में कोई निर्णय न लिये जाने की स्थिति को देखते हुए आई०ए०एस० ऐसोसिएशन ने केन्द्र सरकार से नागपाल के निलम्बन को वापस लिये जाने की माँग की है। यह भी पता चला है कि गौतमबुद्ध नगर जिले के डी०एम० की रिपोर्ट के मुताबिक अवैध निर्माण स्थानीय जनता ने दुर्गा शक्ति के समझने बुझाने पर स्वयं ही गिरा दिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश व भारत सरकार को नोटिस जारी करते हुए दुर्गा नागपाल के निलम्बन से पहले और बाद में अवैध खनन के खिलाफ हुई कार्यवाही का उत्तर 19 अगस्त तक देने का समय दिया है।
ज़ी मीडिया ब्यूरो की खबरों के अनुसार यू०पी०ए० अध्यक्ष सोनिया गान्धी ने भारत सरकार के प्रधानमन्त्री को पत्र लिखकर जब यह पूछा कि "क्या सरकारी कर्मचारियों को अपने कर्तव्य पालन के दौरान उनके संरक्षण के लिये कुछ और उपाय करने की जरूरत है" तो इस पर तत्काल अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा कि सोनिया गान्धी को हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमन्त्रियों को अपने राज्यों के आई०ए०एस० अधिकारियों को निलम्बित किये जाने के सम्बन्ध में भी मनमोहन सिंह को पत्र लिखना चाहिये। क्योंकि भूमि सौदों के इन दोनों मामलों में राबर्ट वाड्रा का नाम आया था, क्या इसलिए वे चुप रहीं?
आज तक ब्यूरो की एक खबर के अनुसार दुर्गा के निलम्बन को लेकर केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच ठन गई है। समाजवादी पार्टी सांसद राम गोपाल यादव ने केन्द्र को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसने इस मामले में दखलंदाजी की तो आई०ए०एस० अधिकारियों के बिना ही वे प्रदेश की सरकार चला कर दिखा देंगे।
एम० एल० शर्मा नाम के एक अधिवक्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में एक जनहित याचिका दायर करते हुए अनुच्छेद-32 के तहत अपील की गयी है जिसमें तर्क दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यवाही संवैधानिक ढाँचे को कमजोर करने वाली है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि 29 सितम्बर 2009 एवं 16 फ़रवरी 2010 को उच्चतम न्यायालय ने जो आदेश पारित किये थे उ०प्र० सरकार ने उनका उल्लंघन करते हुए दुर्गा नागपाल को निलम्बित किया है। जनहित याचिका में प्रदेश और केन्द्र सरकार दोनों को ही प्रतिवादी बनाते हुए निलम्बन आदेश अबिलम्ब निरस्त करने की प्रार्थना की गयी है।
वह अपने पति अभिषेक सिंह के साथ मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव से मिलीं और उनके समक्ष अपना पक्ष रखा। दुर्गा शक्ति ने मुख्यमन्त्री को बताया कि वह निर्दोष हैं और उन्होंने केवल उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन किया है। आखिरकार मुख्यमन्त्री ने उन्हें मिलने के चन्द घण्टों बाद ही 22 सितम्बर 2013 को बहाल कर दिया।
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